मैं शायद मिलुँगी तुझे उस अनजान राह में एक अजनबी से मुसाफिर की तरह। मैं शायद मिलुँगी तुझे उस अनजान राह में एक अजनबी से मुसाफिर की तरह।
प्यार का क्या है! प्यार का क्या है!
और तुम... तुम मुझमें रहकर भी मुझसे जुदा हो। और तुम... तुम मुझमें रहकर भी मुझसे जुदा हो।
बन कर फल कभी थोड़े कच्चे तो कभी थोड़े पक्के, लटकते अधटूटी टहनियों से दिखावी रिश्ते। बन कर फल कभी थोड़े कच्चे तो कभी थोड़े पक्के, लटकते अधटूटी टहनियों से दिखा...
यह कविता मैंने अपने दोस्त वरुण के लिए लिखी थी। पिछले साल जिसकी मृत्यु डेंगू और विषाक्त खाने के कारण ... यह कविता मैंने अपने दोस्त वरुण के लिए लिखी थी। पिछले साल जिसकी मृत्यु डेंगू और व...
और फिर... और फिर...